एक दिन की तैयारी में सिविल जज बन जाना कोई साधारण बात नहीं थी। यह कहानी उस हिम्मत की है, जिसने हालात से समझौता करने के बजाय उन्हें चुनौती देना चुना। उसने जितनी मेहनत की, जितना खुद पर विश्वास रखा, वो उसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई।उसे पता था कि वक्त बहुत कम है, लेकिन उसके इरादे वक्त से कहीं बड़े थे। वह हारी नहीं, डरी नहीं।जब रिजल्ट आया, तो उसके चेहरे पर आई मुस्कान और आँखों में छलक आए आँसू इस बात का सबूत थे कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। उस एक दिन की तैयारी ने साबित कर दिया कि अगर इरादे सच्चे हों, तो किस्मत को बदलने में वक्त नहीं लगता। यह संदेश है, हर उस लड़की के लिए है, जो कभी हालात से हार मानने की सोचती है — मंज़िल पाने के लिए वक्त कम या ज्यादा मायने नहीं रखता, मायने रखता है आपका हौसला और यकीन।
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