यह कहानी है उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की 'रेसलर अनुष्का पंडित' की। "बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश का एक शहर है वहीं है सिकंदराबाद नगर। वहीं पर जन्मीं हैं अनुष्का। जिनको बचपन से ही कुश्ती करने का शौक लग गया। एक लड़की के लिए कुश्ती करना।सामाजिक दृष्टि से कुछ अटपटा सा था लेकिन अनुष्का पंडित ने इन सीमाओं को अपनी सफलता में बाधा नहीं बनने दिया। बचपन से ही उनमें एक अलग सा जज़्बा और जुनून था। जब उनके घर से उन्हें कुश्ती में हाथ आजमाने का सुझाव दिया, तो अनुष्का ने इसे अपना सपना बना लिया। शुरुआत में उनके परिवार को भी थोड़ा संकोच था। लेकिन अनुष्का के भाई और पिता ने उनकी इच्छाओं को समझा और उनका समर्थन किया। उनके पहले गुरु ने उन्हें एक साधारण अखाड़े में ट्रेनिंग देनी शुरू की, जहां अनुष्का ने कुश्ती की बारीकियों को सीखा।" अनुष्का के लिए यह सफर आसान नहीं था। लड़कों के वर्चस्व वाले इस खेल में एक लड़की का खुद को साबित करना बड़ा चुनौतीपूर्ण था। सुबह की कड़ी ट्रेनिंग, दिनभर की पढ़ाई और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सिकंदराबाद के साधारण अखाड़े से शुरुआत करके उन्होंने अपने खेल को निखारा। अनुष्का की मेहनत और उनके कोच की लगन रंग लाई, और जल्द ही उन्होंने जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में जीत हासिल करनी शुरू कर दी।" अनुष्का के पहले बड़े ब्रेक का मौका आया जब उन्होंने राज्य स्तर की कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने न केवल स्वर्ण पदक जीता, बल्कि लोगों का मन भी जीत लिया।
It is called Hard work is always key to success which shown by Anushka. God bless!